सिंगरौली। जिले में यातायात व्यवस्था सवालों के घेरे में है। आए दिन सड़कों पर दौड़ती भारी ओवरलोड गाड़ियाँ न सिर्फ ट्रैफिक नियमों को ठेंगा दिखा रही हैं, बल्कि लोगों की जान भी ले रही हैं स्थानीय लोगों का आरोप है कि यातायात प्रभारी की मिलीभगत से बड़ी कंपनियों के ओवरलोड वाहन बेखौफ होकर चल रहे हैं। कहीं कोई चेकिंग नहीं, न चालानी कार्रवाई – मानो जिले की सड़कों पर नियमों का कोई वजूद ही नहीं बचा हो बीते दिनों कई सड़क हादसे ऐसे हुए, जिनका सीधा कारण ओवरलोडिंग ही रहा, लेकिन हैरानी की बात यह है कि न तो यातायात विभाग हरकत में आया और न ही अब तक किसी पर ठोस कार्रवाई की गई अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है क्या एसपी लेंगे इस पूरे मामले का संज्ञान? या फिर यह भी किसी ‘संरक्षण’ के साए में दबा दिया जाएगा? जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, और अगर समय रहते जिम्मेदार अधिकारी नहीं जागे, तो जनता सड़कों पर उतरकर जवाब मांग सकती है संरक्षण बनाम संज्ञान – अब जनता के सब्र का इम्तिहान सिंगरौली जैसे औद्योगिक क्षेत्र में ओवरलोडिंग कोई नई बात नहीं, लेकिन जब यह ‘नियम’ बन जाए और हादसे ‘नियत’, तब सवाल केवल ड्राइवरों या कंपनियों पर नहीं, सिस्टम पर भी उठते हैं यातायात प्रभारी पर जो आरोप लगे हैं, वे सिर्फ व्यक्तिगत नहीं हैं ये उस पूरे तंत्र पर उंगली उठाते हैं जो आंख मूंदकर कंपनियों की सेवा में लगा है, चाहे इसके लिए आम जनता की जान ही क्यों न जाए जब नियमों का पालन कराने वाला ही नियम तोड़ने वालों का संरक्षक बन जाए, तब न्याय की उम्मीद किससे की जाए? अब गेंद जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के पाले में है। क्या वे इस मामले को गंभीरता से लेंगे? या फिर ‘ऊपर से दबाव’ और ‘नीचे की सेटिंग’ का हवाला देकर इसे भी रफा-दफा कर देंगे? अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के विश्वास से सीधा विश्वासघात होगा।
– “कानून की चुप्पी, हादसों की चीख से ज़्यादा डरावनी है।”
यातायात प्रभारी पर गंभीर आरोप-ओवरलोडिंग से बढ़ रहीं मौतें, कंपनियों से ‘सांठगांठ’ के संकेत! क्या एसपी लेंगे संज्ञान या फिर देंगे संरक्षण?
