सिंगरौली।
एनसीएल की खदानों से बहकर बलिया नदी में पहुंच रहा कोयला अब सिर्फ जल प्रदूषण नहीं, पर्यावरणीय आपदा का खुला निमंत्रण बन चुका है। वायरल वीडियो में नदी का रंग काला पड़ चुका है-और ये किसी कैमरे की चाल नहीं, एनसीएल की बेहिस प्रशासनिक लापरवाही का असली रंग है नदी नहीं, अब कोयले की गटर बन चुकी बलिया नदी की दुर्दशा ने क्षेत्र के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। एनसीएल के झूठे प्रदूषण नियंत्रण दावे और धरातल पर दिखती सच्चाई के बीच फंसी है आम जनता की सेहत, जमीन और जिंदगी लोकल नाले खतरे में, गांवों की जलधाराएँ दम तोड़ रहीं खदानों से बहती कोयली गंदगी ने आसपास के गांवों के छोटे-बड़े नालों और जलस्रोतों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। सवाल उठता है-क्या विकास के नाम पर लोगों के हिस्से सिर्फ जहर और बीमारी ही आएगी? जनप्रतिनिधियों में मचा हड़कंप, मगर प्रशासन अब भी कोमा में वीडियो वायरल होते ही विधायक रामनिवास शाह ने एनसीएल से बात की और महापौर रानी अग्रवाल ने चेतावनी भरा पत्र लिखा-लेकिन प्रदूषण नियंत्रण विभाग अब भी गहरी नींद में खर्राटे मार रहा है अब सवाल सीधा है-क्या सिंगरौली को ‘प्रदूषण की राजधानी’ बनाने की साजिश चल रही है? क्या एनसीएल को किसी ‘दंडात्मक कार्रवाई’ का डर नहीं? क्या प्रशासन की चुप्पी और विभागों की उदासीनता इसके पीछे की ‘मैनेजिंग’ व्यवस्था का हिस्सा है?अब वक्त आ गया है कि सवाल उठे-और तेज उठे। क्योंकि अगर आज चुप रहे, तो कल पीने के लिए पानी भी नहीं बचेगा।