सिंगरौली जिले के जनपद पंचायत चितरंगी के ग्राम गिर में सरकारी योजनाओं के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार की पोल अब खुलने लगी है। भोला प्रसाद यादव नामक किसान ने जिला कलेक्टर के पास पहुंचा जनसुनवाई में शिकायत में गंभीर आरोप लगाए हैं कि बिना कोई कार्य हुए ही उनके नाम पर लघु तालाब निर्माण का पैसा फर्जी मजदूरी दिखाकर निकाल लिया गया। सवाल यह उठता है कि क्या जनपद पंचायत का सीईओ इस पूरे फर्जीवाड़े से अनजान है, या फिर उसकी शह पर ही यह सब चल रहा है? किसान का कहना है कि उसके खेत में एक ईंट तक नहीं लगी, फिर भी योजना पूर्ण मान ली गई जमीन पर ना तो भूमि पूजन हुआ, ना कोई खुदाई, फिर किस आधार पर जनपद ने भुगतान की अनुमति दी? क्या सीईओ की निगरानी और सत्यापन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है? इतना बड़ा घोटाला बिना जनपद सीईओ की जानकारी या मिलीभगत के संभव नहीं लगता। यह सीधा-सीधा प्रमाण है कि ग्राम पंचायत से लेकर जनपद स्तर तक अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाएं कागज़ों पर पूर्ण कर पैसा हज़म किया जा रहा है अब जरूरी है कि –
➡️ जनपद सीईओ से जवाब तलब किया जाए।
➡️ निर्माण स्थल की मौके पर जांच हो।
➡️ योजना से जुड़े दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराई जाए।➡️ दोषियों पर आर्थिक रिकवरी और एफआईआर हो।
यह कोई अकेला मामला नहीं है — सवाल यह भी है कि सिंगरौली की कितनी और योजनाएं ऐसे ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं और जनपद सीईओ अब तक आंखें मूंदे क्यों बैठा है? मुख्य शीर्षक सुझाव “जनपद कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा? “सीईओ की चुप्पी पर सवाल – बिना काम के भुगतान की खुली पोल “कागज़ी तालाब, असली घोटाला!”
जनपद सीईओ की मिलीभगत या लापरवाही? बिना तालाब बने निकाले गए दो लाख, गरीब किसान बना भ्रष्टाचार का शिकार
