सिंगरौली/चितरंगी।
शिवपुरवा क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित श्री साईं स्टोन क्रेशर को लेकर जनाक्रोश अब विस्फोट के कगार पर है। लगातार खुलासों और मीडिया में प्रमाणों के साथ उजागर किए जाने के बावजूद जिला प्रशासन की निष्क्रियता न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि अब इस चुप्पी को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं चुप्पी या साठगांठ?स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब क्रेशर के अवैध संचालन, प्रदूषण, और श्रमिकों के शोषण से जुड़ी ठोस तस्वीरें सामने आ चुकी हैं, तब भी अगर प्रशासन खामोश है, तो यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासन और माफिया गठजोड़ की आशंका को पुख्ता करता है अंधी व्यवस्था- गूंगी एजेंसियाँ सबसे विडंबनापूर्ण पहलू यह है कि ना तू रोड जैसी व्यस्त सड़क के किनारे चल रहे इस अवैध क्रेशर पर न तो खनिज विभाग, न पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड, और न ही ट्रैफिक या श्रम विभाग ने अब तक मौके पर जाकर कोई निरीक्षण किया है। यह निष्क्रियता आने वाले समय में किसी बड़ी जनहानि या पर्यावरणीय त्रासदी को जन्म दे सकती है प्रशासन किसका इंतजार कर रहा है-दुर्घटना या जनविद्रोह?जब जनता, मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार आवाज उठा रहे हैं, तब प्रशासन का यह बेशर्म मौन आखिर किसके हित में है? अगर यह चुप्पी साजिश नहीं तो और क्या है? टिप्पणी: सवाल यह नहीं कि खबर छपी -सवाल यह है कि उसका असर क्यों नहीं हुआ? जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी बेअसर हो जाए, तो यह संकेत है कि जनसंघर्ष और तेज कलम दोनों को और मुखर होना होगा यह देखना बाकी है कि पहले कौन बोलेगा -प्रशासन की आत्मा, या जनता की हुंकार।