चितरंगी।
जहां एक ओर सरकारें विकास के दावे करती नहीं थकतीं, वहीं दूसरी ओर सिंगरौली जिले के ग्रामीण अंचलों की हकीकत उन दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। चितरंगी विकासखंड अंतर्गत बगदरा अभ्यारण्य क्षेत्र में आने-जाने का कोई स्थायी मार्ग नहीं होने से ग्रामीणों को लंबे समय से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था विशेष रूप से कोरावल के समीप बेलहवा नदी पर कोई पुल न होने के कारण कुलकवार और बगदरा गांवों के लोगों को आवागमन में खासी दिक्कतें होती थीं। ऐसे में स्थानीय संगठन कोरावल विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. रमाशंकर बैस ने पहल करते हुए ग्रामीणों के सहयोग से देसी जुगाड़ से पीपा पुल तैयार करवाया और रास्ता चालू कराया। अब लोग बरसात के दिनों में भी एक ओर से दूसरी ओर सुरक्षित रूप से आ-जा सकेंगे लेकिन यह कदम कहीं न कहीं जिम्मेदार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जब मंत्री, विधायक, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष, जनपद सदस्य और सरपंच सभी इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं, तो फिर एक साधारण पुलिया तक क्यों नहीं बन पाई? क्या यह “दीपक तले अंधेरा” की कहावत को चरितार्थ नहीं करता? जनता की पीड़ा और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता इस कदर है कि लोग खुद जुगाड़ कर व्यवस्था बना रहे हैं, और जिम्मेदार अब भी मौन हैं। चुनावों के समय वादों की झड़ी लगाने वाले नेता अब अपनी कुर्सियों पर मौन बैठ गए हैं। सवाल यह है कि क्या इस खबर के प्रकाशन के बाद प्रशासन और जनप्रतिनिधि जागेंगे या फिर जनता को यूं ही अपने हाल पर छोड़ देंगे?
फिलहाल कोरावल विकास मंच और ग्रामीणों की यह पहल क्षेत्र के लिए एक उदाहरण बन गई है। अब देखना है कि जिम्मेदार कब जागते हैं।