— अमन सिंह,
चितरंगी। क्षेत्र के पशुपालकों के लिए राहत का केंद्र माने जाने वाला पशु चिकित्सालय चितरंगी इस समय बदहाली की तस्वीर पेश कर रहा है। अधिकांश दिनों में अस्पताल का मुख्य द्वार बंद मिलता है, जिससे ग्रामीण पशुपालकों को अपने बीमार या घायल पशुओं के इलाज के लिए निजी डॉक्टरों या दूरस्थ केंद्रों का सहारा लेना पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि पशु चिकित्सक व स्टाफ का समय पर उपस्थित न रहना अब आम बात बन गई है। कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद भी प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
पशुपालक वर्ग का कहना है कि अगर स्थिति यही रही तो पशुओं के इलाज के अभाव में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
✳️ पशुपालकों की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि चितरंगी पशु चिकित्सालय में डॉक्टर की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए, ताकि क्षेत्र के हजारों पशुपालकों को राहत मिल सके और पशु चिकित्सा सेवाएं सुचारू रूप से चल सकें।





