अनिल सिंह कुशवाहा | मैहर (मध्यप्रदेश)
ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के संवैधानिक अधिकारों और आरक्षण की पुनर्स्थापना को लेकर कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश के मैहर में शक्ति प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर कार्यालय में सौंपा। इस अवसर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बनता था — पूरे परिसर में गूंजते नारों और आक्रोशपूर्ण आवाज़ों ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अब इस मुद्दे को सियासी संघर्ष की मुख्यधारा में लाने के लिए तैयार है।
संविधान-सम्मत न्याय के लिए संघर्ष का संकल्प
ज्ञापन को अपर कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को प्रेषित किया गया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष धर्मेश घई ने इस अवसर पर कहा,
“यह संघर्ष केवल आरक्षण का नहीं, सामाजिक समता और लोकतांत्रिक न्याय की पुनर्स्थापना का आंदोलन है। जब संविधान पर कुठाराघात हो रहा हो, तब कांग्रेस ही वह शक्ति है जो इसकी आत्मा को जीवित रखे हुए है।”
धर्मेश घई, जो पूर्व में मैहर विधानसभा से प्रत्याशी भी रह चुके हैं, ने अपने वक्तव्य में ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ को भारतीय लोकतंत्र के मूल तत्वों पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई वोट बैंक की नहीं, बल्कि ऐतिहासिक न्याय के पुनः प्रतिष्ठान की है।
‘संवैधानिक हिस्सेदारी से वंचित नहीं रहने देंगे’
ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रभात द्विवेदी ने कहा,
“यदि सत्ता में बैठे लोग सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष का बिगुल बजाएगी।”
वहीं, सेवादल जिला अध्यक्ष अरुण तनय मिश्रा ने ओबीसी वर्ग की जनसंख्या और लोकतांत्रिक भागीदारी के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए चेताया कि यदि इन वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया, तो देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति भी बाधित होगी।
जमीन पर मजबूत उपस्थिति
कलेक्टर कार्यालय का परिसर “आरक्षण हमारा अधिकार है – कोई नहीं छीन सकता”, “सामाजिक न्याय अमर रहे”, और “कांग्रेस पार्टी ज़िंदाबाद” जैसे नारों से गूंजता रहा। इस प्रदर्शन में जिले भर से बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए। नेताओं की एकजुटता और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने यह संकेत दे दिया कि कांग्रेस अब ओबीसी समाज के मुद्दों को अपनी रणनीतिक प्राथमिकता में ला चुकी है।
राजनीतिक समीकरणों की पुनर्संरचना की आहट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस इस विषय को संगठित रणनीति के साथ आगे बढ़ाती है, तो यह संगठनात्मक ऊर्जा के पुनर्निर्माण के साथ-साथ आगामी चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
यह ज्ञापन केवल एक प्रशासनिक दस्तावेज नहीं, बल्कि ओबीसी समाज की वेदना और कांग्रेस की वैचारिक प्रतिबद्धता का जीवंत प्रतीक बनकर उभरा है।
उपस्थित प्रमुख चेहरे
इस मौके पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष धर्मेश घई, प्रभात द्विवेदी, मनीष पटेल, अरुण तनय मिश्रा, रामायण प्रताप सिंह, चूड़ामणि बाड़ोलिया, रोशन लाल कुशवाहा, अखिल मिश्रा, शशांक पटेल, ऋषिकेश पांडे, विश्व मोहन, गणेश चतुर्वेदी, महेंद्र त्रिपाठी, बैजनाथ कुशवाहा, शारदा पटेल, ईश्वर कुशवाहा, राज बाबू सिंह, बद्री कुशवाहा, मोती पटेल, अयोध्या कुशवाहा, सुनील कोरी, अमजद खान, अनिल कुशवाहा, मुकेश सेन, मनीष दुबे, मनी कोल, देवांग चौरसिया, सनी सिंह, राजू रिवारा, सगीर अहमद, कुल्लन भाई, राजकुमार प्रजापति, नसीब खान, जान मोहम्मद, पंकज सोनी, अक्षय कुमार, हीरा सिंह बुंदेला, दाहिया, रवि चौरसिया, मोहम्मद शरीफ समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
विश्लेषण:
यह आयोजन कांग्रेस की ओर से न केवल सामाजिक न्याय के मुद्दे पर मजबूती से खड़े होने का संदेश देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पार्टी भविष्य की राजनीति में ओबीसी वर्ग को निर्णायक शक्ति मान रही है।
यह देखना शेष रहेगा कि क्या यह आंदोलन केवल ज्ञापन तक सीमित रहता है या आने वाले समय में यह व्यापक जनआंदोलन का रूप लेता है।