मैहर देवी धाम बंधा स्थित विश्वकर्मा मंदिर में विश्वकर्मा पूजन का आयोजन जिले भर से शामिल हुए हजारों लोग

मैहर देवी धाम बंधा स्थित विश्वकर्मा मंदिर में आज विश्वकर्मा जयंती महापर्व बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब विश्वकर्मा समाज द्वारा भव्य आयोजन किया गया।इस अवसर पर विश्वकर्मा समाज के जिला अध्यक्ष श्री राजेंद्र विश्वकर्मा के नेतृत्व में हजारों की संख्या में समाज जन उपस्थित हुए और भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की।

भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें देवताओं का दिव्य शिल्पकार, प्रथम इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है, उनके द्वारा रचे गए स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, द्वारका, हस्तिनापुर और भगवान शिव का त्रिशूल आज भी मानव समाज के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।अपने संबोधन में जिला अध्यक्ष राजेंद्र विश्वकर्मा ने कहा भगवान विश्वकर्मा ने हमें सिखाया कि श्रम ही सर्वोच्च है, कौशल और परिश्रम से असंभव भी संभव किया जा सकता है। समाज को उनके बताए मार्ग पर चलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।

पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ भाग लिया और “जय विश्वकर्मा भगवान” के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा।

कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति

जिला सचिव – बालप्रसाद विश्वकर्मा कोषाध्यक्ष रामनरेश विश्वकर्मा मैहर मंडल अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा नादन मंडल अध्यक्ष छोटू विश्वकर्मा अमरपाटन मंडल अध्यक्ष बद्री विश्वकर्मा अमदरा मंडल अध्यक्ष शनि देव विश्वकर्मा उपाध्यक्ष अनिल विश्वकर्मा, राम सिया जिला मंत्री कैलाश विश्वकर्मा, देवी दिन विश्वकर्मा पदाधिकारी जितेंद्र विश्वकर्मा, रामानुज विश्वकर्मा, दयाशंकर विश्वकर्मा युवा मोर्चा अध्यक्ष नागेश विश्वकर्मा
महिला मोर्चा अध्यक्ष ममता विश्वकर्मा अन्य गणमान्य सुनील विश्वकर्मा (घुनवारा) रज्जन विश्वकर्मा (घुनवारा) सहित बड़ी संख्या में संगठन व जिले के पदाधिकारी विश्वकर्मा समाज के लोग एवं समाजबंधु उपस्थित रहे। साथ ही मैहर के समाजसेवी पत्रकार अनिल कुशवाहा की भी कार्यक्रम में मौजूदगी रही अनिल कुशवाहा ने अपने उद्बोधन में बोले कविता जो इस प्रकार है उन्होंने कहा आज हम सृजन और श्रम के देव, कौशल और तकनीक के दाता भगवान विश्वकर्मा जी को नमन करते हैं।यह कविता हमें याद दिलाती है विश्वकर्मा भगवान के वो महान कार्य जिनकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती l

सृजन के देव, कौशल के दाता,
हर युग में चमके आपका नाता।
स्वर्ग से धरती तक जिसने रचा,
वो हैं विश्वकर्मा – सृष्टि का सच्चा।

हथौड़े की ध्वनि, औज़ारों की तान,
मेहनत से बनता है भारत महान।
श्रम का सम्मान, कर्म की पूजा,
विश्वकर्मा देते हैं यही दूजा।

द्वारका नगरी, हस्तिनापुर का गौरव,
आपकी कला से सजता हर पर्व।
तकनीक, उद्योग, निर्माण की पहचान,
विश्वकर्मा हैं हमारे अभिमान।

आओ समाज, शपथ ये खाएँ,
विश्वकर्मा पथ पर सदा बढ़ जाएँ।
श्रम और सृजन से रौशन संसार,
जय-जय विश्वकर्मा भगवान अपार।

जय जय कौशल, जय विश्वकर्मा भगवान

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