चितरंगी, मध्यप्रदेश
राज्य सरकार बार-बार यह दावा करती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और नीति-सम्मत प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे अलग तस्वीर पेश करती है चितरंगी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के पद पर आठ से दस वर्षों की निरंतर तैनाती न सिर्फ स्थानांतरण नीति का उल्लंघन है, बल्कि इससे प्रशासनिक निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं नीति के विपरीत लंबी तैनाती प्रदेश की स्थानांतरण नीति स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी भी अधिकारी को एक ही स्थान पर अधिकतम तीन वर्ष से अधिक नहीं रखा जाना चाहिए इस नीति का उद्देश्य प्रशासन में संतुलन, पारदर्शिता और सभी अधिकारियों को समान अवसर प्रदान करना है बावजूद इसके, डॉक्टर साहब की लंबी तैनाती यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं नीति के पालन में लापरवाही बरती जा रही है अन्य योग्य चिकित्सकों के अवसर बाधित स्थानीय सूत्रों के अनुसार,डॉक्टर साहब की लगातार मौजूदगी के कारण अन्य योग्य डॉक्टरों को चितरंगी जैसे पिछड़े क्षेत्र में सेवा देने का अवसर नहीं मिल रहा यह न केवल सेवा के अवसरों का अन्यायपूर्ण वितरण है, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है यदि किसी अधिकारी का कार्य निष्पादन उत्कृष्ट है, तो उसे अन्य ज़रूरतमंद क्षेत्रों में भी भेजा जाना चाहिए, जिससे राज्य स्तर पर उसके अनुभव का लाभ उठाया जा सके संरक्षण का प्रश्न और स्थानीय आक्रोश जनता के बीच यह चर्चा भी जोरों पर है कि डॉक्टर साहब को किसी उच्च स्तरीय राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण का लाभ मिल रहा है, जिसके चलते उनका तबादला नहीं हो रहा कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल इस पूरे मामले में प्रशासन की चुप्पी भी चिंताजनक है स्थानांतरण जैसे विषय को यदि अनदेखा किया जाता रहा, तो यह पूरे तंत्र की विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील विभाग में नियमों की अनदेखी का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है -जहां स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पहले ही सीमित है निष्कर्ष: नीति से ऊपर कोई नहीं स्थानांतरण नीति केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह व्यवस्था की पारदर्शिता और समरूपता की रीढ़ है जब तक इन नीतियों को समान रूप से लागू नहीं किया जाएगा, तब तक योग्य अधिकारियों के अधिकारों का हनन और जनता के साथ अन्याय होता रहेगा स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे, और यह सुनिश्चित करे कि नीति से ऊपर कोई नहीं होता है टिप्पणी -पत्रकारिता के दृष्टिकोण से पत्रकारिता का धर्म है सवाल उठाना-और जवाब मांगना चितरंगी में वर्षों लंबी तैनाती का मामला कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं, बल्कि नीतिगत ढील, प्रशासनिक निष्क्रियता और संभावित प्रभाव के जाल की पड़ताल करने का अवसर है। जब नीति स्पष्ट है, तब अपवाद क्यों? एक पत्रकार का दायित्व केवल खबर देना नहीं, बल्कि उन खबरों के पीछे की चुप्पियों को उजागर करना भी है — और यह लेख उसी प्रयास का हिस्सा है।
यदि शासन और विभाग पारदर्शिता के अपने दावों पर खरा उतरना चाहते हैं, तो उन्हें जवाब देना होगा — कि जब नीति तीन वर्षों की है, तो आठ वर्षों की मौन स्वीकृति क्यों दी गई?